राजस्थान के सिंह द्वार में राजस्थानी युवा समिति का सिंह नाद, राजस्थान सरकार राजस्थानी को तुरंत राजभाषा बनाये – राजवीर सिंह चलकोई

राजस्थान – राजस्थानी भाषा की जागरूकता को लेकर राजस्थानी युवा समिति प्रदेश भर में संभाग स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन कर रही है जोधपुर, जयपुर, उदयपुर, वाराणसी में हजारों राजस्थानियों को राजस्थानी की मान्यत हेतु हो रहे संघर्ष से अवगत करवाने के बाद अब अलवर में राजस्थानी युवा समिति का भोळावणी उच्छब “हेलों मायड़ भासा […]

Jan 4, 2023 - 17:01
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राजस्थान के सिंह द्वार में राजस्थानी युवा समिति का सिंह नाद, राजस्थान सरकार राजस्थानी को तुरंत राजभाषा बनाये – राजवीर सिंह चलकोई

राजस्थान – राजस्थानी भाषा की जागरूकता को लेकर राजस्थानी युवा समिति प्रदेश भर में संभाग स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन कर रही है जोधपुर, जयपुर, उदयपुर, वाराणसी में हजारों राजस्थानियों को राजस्थानी की मान्यत हेतु हो रहे संघर्ष से अवगत करवाने के बाद अब अलवर में राजस्थानी युवा समिति का भोळावणी उच्छब “हेलों मायड़ भासा रौ” हुआ।

हजारों की संख्या में युवाओ को समिति के राष्ट्रीय सलाहकार राजवीर सिंह चलकोई ने कई सौ साल पहले बृज बोली में बीकानेर के पृथ्वीराज राठौड़ द्वारा लिखे दोहे सुनाकर ये प्रमाणित किया कि बृज, मेवाती और अन्य सभी बोलियां राजस्थानी भाषा का शताब्दियों से अभिन्न अंग है एवं ये बोलियां मिलकर ही राजस्थानी भाषा का निर्माण करती है, लिपि के प्रश्न पर उत्तर देते हुए राजवीर ने बताया मुड़िया, महाजनी ये सब हमारी लिपिया रही है परंतु जिस तरह 8वी अनुसूची में 10 भाषाएँ देवनागरी में लिखी जाती है एक और राजस्थानी भी जुड़ जाएगी, अलवर से समिति का मत स्पष्ठ करते हुए राजवीर सर ने कहा अगर अब 8 करोड़ राजस्थानियों की भाषा को सम्मान नहीं मिलता तो परिणाम सरकार की जिम्मेदारी होगी।

राजवीर सिंह चलकोई

राजवीर ने बताया मेवाती, बृज का भी राजस्थानी में उतना ही महत्व है जितना राजस्थान के अन्य बोलियों का है इतिहास विद राजवीर ने युवाओं से राष्ट्रीय, अन्तराष्ट्रीय उदाहरणो के साथ संवाद किया एवं तथ्यों पर बात की उन्होंने अलवर के युवाओ को समझाते हुए बताया जब मेवाड़ के राजा का लिखा खत हसन खां मेवाती समझ सकता है तो इसका मतलब है राजस्थानी एक ही भाषा है बस बोलियां अलग है। अलवर के युवाओं ने एक स्वर में राजस्थानी को राजभाषा बनाने का समर्थन किया, हजारों युवाओं ने अपने प्रिय राजवीर सर के साथ राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने की शपथ ली।